Malaria- Treatment |
आज भी Malaria सबसे आम संक्रामक रोगों में से एक है तथा एक भंयकर जन स्वास्थ्य समस्या है। 2016 में, दुनिया भर में मलेरिया के 216 मिलियन मामले हुए जिसके परिणामस्वरूप अनुमानित 731,000 मौतें हुईं।
परन्तु अब मलेरिया की बीमारी बहुत ही जल्द बीते दिनों की बात होने वाली है क्योंकि वैज्ञानिकों ने ऐसा दावा किया है कि बहुत ही जल्द malaria की बीमारी के इलाज के लिए नया टीका/ malaria vaccine विकसित करने की दिशा में वो एक कदम आगे बढ़ा चुके हैं, यह पता लगाने के बाद कि किस प्रकार malaria parasite हमारी कोशिकाओं पर हमला करते हैं।
निःसन्देह यह एक महत्वपूर्ण कदम है उस malaria vaccine /टीके की निर्माण के लिए जिसका इंतजार कई वर्षों से हम सभी कर रहे थे। क्योंकि पूरे विश्व में और खास करके developing countries/विकासशील देशों में मलेरिया के कारण से हर साल अनेकों मौतें देखने को मिलती हैं। इसीलिए वर्ष 2016 से malaria के विरुद्ध टीका बनाने के लिए European regulators ने एक प्रस्ताव भी अनुमोदित किया था। जिसके तहत सन 2016 से चुनिंदा देशों में इसके लिए pilot trials शुरू कर दिए गए थे।
Malaria treatment, scientists have decoded how parasites invade our cells in hindi :
अब वैज्ञानिकों ने नोबल पुरस्कृत तकनीक क्रायो-ईएम / cryo-EM (cryo-electron microscopy) द्वारा इस बात का पता लगा लेने में सफलता पा ली है कि मलेरिया परजीवी / Plasmodium vivax parasite और युवा लाल रक्त कोशिकाओं / young red blood cells के बीच पहली बार किस प्रकार से संपर्क होता है। और फिर वो किस प्रकार पूरे शरीर पर आक्रमण करते हैं इसका बात का पूरा map या खाका खींचने में वो सफल हुए हैं।ये अध्ययन /research परजीवी द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं से जुड़ने और उनके माध्यम से संक्रमण को फैलाने की molecular machinery के रहस्य को हल करता है ।
मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र में यह सबसे आवश्यक कदम मन जाता है क्यूंकि ऐसा होने के बाद ही malaria से जुडे आम लक्षणों के दिखने की शुरुआत होती है - बुखार, ठंड, मलिनता, दस्त और उल्टी - जो सप्ताह या उससे भी अधिक समय तक चल सकतें हैं ।
इस साल के शुरुआत में, वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि plasmodium vivax parasite लाल रक्त कोशिकाओं / R.B.C तक अपनी पहुंच प्राप्त करने के लिए किस प्रकार से मानव ट्रांसफेरिन रिसेप्टर/ human transferrin receptor का उपयोग करते हैं।
क्रायो-ईएम प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ही ,वैज्ञानिकों की टीम ने उस atomic level का रिश्ता जिससे parasite रक्तकणों/ red blood cells से संपर्क बनातें है ,को खोज लेने में सफलता पायी है, पहले ये बात उन तकनीकी चुनौतियों में से एक थी जिसे जान पाना असंभव माना जाता था ।
Wai-Hong Tham an Associate Professor at Walter and Eliza Hall Institute in Australia, ने बताया कि किस प्रकार उनकी टीम ने malaria parasite द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं को निशाना बनाने के लिए,परजीवी कैसे मानव ट्रांसफरिन रिसेप्टर द्वारा बेहद सूक्ष्म तरीके को अपनाते है इसका रहस्य सुलझा लिया है।
यह खोज संभावित नई एंटीमलियरियल दवाओं और टीकों /antimalaraial drugs and vaccines को विकसित करने और उनको अगले चरण में ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
Cryo-electron microscopy तकनीक वास्तव ,में शोधकर्ताओं के लिए उन सरंचनाओं को देखने और समझने की दिशा में ऐसी असीम सम्भावनाओं के दरवाजे खोल रही है जो, पहले बहुत ही कठिन या अबूझ माने जाते थे 'हल' करने के लिए।
P.vivax दुनिया भर में सबसे व्यापक मलेरिया परजीवी है, और अफ्रीका के बाहर के अधिकांश देशों में मलेरिया का मुख्य कारण भी है।
किसी व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली /immune system से बचकर liver में रहने वाले परजीवियों में P.vivax पहले स्थान पर आता है। अर्थात यह हमारे immune system से छिपकर आवर्ती मलेरिया संक्रमण / recurrent malaria infections के लिए सबसे ज़्यादा जिम्मेदार मलेरिया परजीवी की भूमिका निभाता है।
P. vivax परजीवी के कई विविध रूप मिलते हैं - जो इसके खिलाफ vaccine / टीका बनाने दिशा में बहुत बड़ी चुनौती का कारण रहा हैं ।
इस अभूतपूर्व खोज से वैज्ञानिक नए उपचारों/treatments की संम्भावनाओं को ढूंढने में सफल हो सकेंगे ,जिसमे वो Malaria Parasite की आक्रमण मशीनरी / parasite’s invasion machinery को लक्षित और बाधित कर सकेंगें।
जिसके फल्स्वरूप malaria parasite red blood cells को अपना शिकार बनाकर पूरे शरीर में फैल पाने और दूसरों मनुष्यों में संक्रमण पहुंचने में असफल हो जायेंगे।
साथ ही हमारे शरीर में मौज़ूद Antimalarial Antibodies किस प्रकार P. vivax parasite से जुड़कर उनको red blood cells पर हमला करने से रोकती हैं ,इस बात का भी अध्ययन काफी अच्छे से कर लिया गया है।
जिससे की कुछ ऐसी कमज़ोर कड़ियों / weak spots को ढूढ़ने में सफलता हाथ लगी है जिन्हें चिकित्सीय लक्ष्यों के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
इस खोज ने वैज्ञानिकों को परजीवी की संरचना में से उस प्रोटीन को बाहर निकालने का रास्ता दिखा दिया है जो कि भविष्य में मलेरिया के विरुद्ध vaccine बनाने में बहुत मददगार साबित होगा। यह अध्ययन 'नेचर' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
चलिए आशा करते हैं की Antimalarial malaria vaccine कॉम बनाने में जल्द से जल्द सफलता मिले और पूरे विश्व में malaria से होने वाली मौतों पर लागम लगाई जा सके।
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